लखनऊ (विसंकें). प्रज्ञा प्रवाह के राष्ट्रीय संयोजक जे. नन्दकुमार जी ने कहा कि खतरनाक वामपंथी विचारधारा के बारे में देश को पता चलना चाहिए. कम्युनिस्ट हर देशविरोधी काम कर रहे हैं. वह दलित, अल्पसंख्यक और लिंचिंग के नाम पर राष्ट्रवादी शक्तियों को बदनाम करने की साज़िश कर रहे हैं. वह आतंकवादी, नक्सलवादी, माओवादियों का समर्थन करते हैं. उन्होंने केरल में राष्ट्रवादियों पर वामपंथी हिंसा विषयक संवाद में कहा कि 1948 में संघ के कार्यक्रम में पूज्य गोलवलकर जी पर हमला करके इसकी शुरुआत की थी. दलित और अल्पसंख्यकों के साथ हिंसा के कथित आरोपों को राष्ट्रीय मीडिया का हिस्सा बना दिया गया. बगैर किसी कारण के कथित लिंचिंग के नाम पर देशव्यापी अभियान खड़ा किया गया. केरल में अगर 1948 में ही असंवैधानिक, ग़ैरकानूनी हिंसा के वामपंथी खतरे को बुद्धिजीवियों ने उठाया होता तो आज हजारों हत्याएं नहीं होतीं. वामपंथ का मकसद तानाशाही है. मजबूरी में वह लोकतांत्रिक तरीके को अपना रहे हैं. वामपंथ विपक्ष को आदर देना तो दूर उनकी उपस्थिति को भी बर्दाश्त नहीं करता है. बुद्धदेव भट्टाचार्य के कार्यकाल में बंगाल में भी 44 हजार हत्याएं हुईं. वामपंथी बंगाल में जब जब सत्ता में आते हैं, वह संघ कार्यकर्ताओं पर हमले करते हैं.
उन्होंने कहा कि संघ के स्वयंसेवक पलायनवादी नहीं होते. वह भागने के बजाय डटकर काम करने के आदि होते हैं, लिहाज़ा उनको जान गंवानी पड़ती है. केरल में वामपंथी जनसमर्थन लगातार घट रहा है. 2015 के बाद से केरल में संघ कार्य लगातार बढ़ रहा है. वामपंथी लगातार घट रहे हैं. वे कार्यकर्ताओं पर हमला कर मार देते हैं. केरल में आरएसएस और वामपंथी हिंसा चल रही है, ऐसा प्रचार मिथ्या है. केरल में वामपंथी बनाम सभी का संघर्ष है. वामपंथियों ने कांग्रेस कार्यकर्ताओं की भी हत्या की. कांग्रेस इसका जिक्र करने का साहस भी नहीं करती है. केरल के मंत्री मणि ने चार साल पहले सार्वजनिक तौर पर कांग्रेस कार्यकर्ताओं को मारने की घोषणा की थी. मणि दो महीने में जेल से बाहर आ गया. वामियों ने मणि को बिजली मंत्री बनाया है. वहां मुस्लिम लीग, दूसरे वाम दलों के लोगों की भी हत्याएं हुई हैं. कहने का मतलब केरल का संघर्ष लेफ़्ट बनाम रस्ट है. पूरे भारत में लोकतंत्र के समर्थक दलों से आग्रह है कि वह केरल की हिंसा के बारे में सामूहिक प्रयास करें. केरल में वामपंथी कार्यकर्ता लोगों का खाना, पीना, पहनना, संबंध रखना तक तय करते हैं. केरल में 285 हत्याएं हुईं हैं. इसमें 60 दलित, 6 महिलाएं और सौ के आसपास पिछड़े शामिल हैं. केरल में राजनीतिक हत्याओं को लेकर वहां के राज्यपाल पी शतशिवम ने मुख्यमंत्री और डीजीपी को समन जारी किया है. इस पर मजबूरन मुख्यमंत्री ने पीस फोरम शुरुआत करने का नाटक किया.
उन्होंने एक सवाल के जवाब में बताया कि केरल में राज्यपाल शतशिवम और गृहमंत्री ने रिपोर्ट मांगी है. केंद्र किसी राज्य के कानून व्यवस्था के प्रश्न पर एक सीमा तक ही दखल दे सकता है. केरल की हिंसा को लेकर सर्वोच्च अदालत में फ़ास्ट ट्रैक कोर्ट बनाना चाहिए, तभी विचाराधीन मामलों को सुना जा सकता है. पहली बार मुस्लिम लीग को सत्ता में भागीदारी देने वाले वामपंथी ही हैं. केरल के कन्नूर से ही अधिकतम बड़े वामपंथी नेता आते हैं. इसलिए ही कन्नूर इनका आदर्श जिला है. वे कन्नूर के किले को बचाकर रखना चाहते हैं. केरल हिंसा के पहले अभियुक्त पिनराई विजयन ही हैं जो आज मुख्यमंत्री हैं.
कन्नूर में अधिकतम हिंसा के सवाल पर कहा कि केरल में कम्युनिज्म नहीं कन्नुरिज्म की सरकार है. केरल में सौ फीसदी साक्षरता है, इसके पीछे वहां सरकार या वामपंथ का कोई योगदान नहीं है. वहां श्री नारायण गुरु, शंकराचार्य सहित कई आध्यात्मिक धर्मगुरुओं ने अहम योगदान दिया है. केरल में विद्या मंदिरों के स्कूलों तक पर आक्रमण होते हैं. बाल संस्कार केंद्रों में आने वाले बच्चों पर भी हमले हो रहे हैं.
केरल में शंकराचार्य, चैतन्य स्वामी, नारायण गुरु के समाधि लेने के बाद वामियों ने काम शुरू किया. संघ ने उनके काफी दिन बाद काम शुरू किया था. शबरीमाता और अय्यप्पा मंदिर को जला दिया गया था. उनके जांच आयोग की रिपोर्ट को विधानसभा के पटल पर नहीं रखा गया है.
केरल में 70 सालों से संघ वहां काम कर रहा है. अभी सर्वोच्च अदालत ने लव जेहाद के मामले पर जांच करने का आदेश दिया है. संघ के कार्यकर्ताओं ने अखिला के विषय को उठाया है. मामले के कोर्ट में जाते ही अचानक एक पतिदेव प्रकट हो गए. कोर्ट ने पहली बार दो वयस्कों की शादी को कटघरे में खड़ा किया. पहली बार सर्वोच्च अदालत ने लव जेहाद को न सिर्फ स्वीकार किया है, बल्कि जांच करने का आदेश दिया है. केरल में 50 फीसदी हिंदू हैं. 25 फीसदी कम्युनिस्ट पार्टी के साथ हैं. 25 फ़ीसदी के बीच में संघ का काम आगे बढ़ रहा है. संघ इतनी प्रतिकूल परिस्थितियों में भी 5000 शाखाएं संचालित कर रहा है. केरल में जहां भी बीजेपी जीतने की स्थिति में है, वहां सभी महागठबंधन बनाकर आ जाते हैं. इस बार बीजेपी ने अभेद्य किले में भी कमल खिलाकर दिखाया है. एक केस चल रहा है जिसमें बीजेपी के उम्मीदवार को जबरन 82 मतों से हराया गया है.
नेशनल फ़्लैग कोड के हिसाब से किसी भी भारतीय को राष्ट्रध्वज फहराने का संवैधानिक अधिकार दिया है. दो साल पहले स्कूल प्रबंधन ने परिसर में आने का अनुरोध किया था. सरसंघचालक जी ने दो साल पहले ही 15 अगस्त के कार्यक्रम में शामिल होने की सहमति दे दी थी. बगैर किसी अधिकृत आदेश के ध्वजारोहण कार्यक्रम को रोकने का कुत्सित प्रयास किया गया. बालकाट जिले के अकेले स्कूल में अकेले व्यक्ति को ध्वजारोहण से रोकने के लिए एक फ़र्जी आदेश जारी किया गया. अभी तक संघ प्रमुख के ध्वजारोहण करने के ख़िलाफ़ किसी ने शिकायत नहीं की. संघ ने खुद जिलाधिकारी के ख़िलाफ़ केस दर्ज कराया और डीएम को हटाया गया है.
सैकड़ों स्वयंसेवक अपाहिज हो गए हैं. हुतात्मा स्वयंसेवकों के परिवारजनों के लिए संघ के कार्यकर्ता अपनी तनख्वाह से आधा हिस्सा इनके परिवारों को भेजते हैं. मैं पूरी हिम्मत और गर्व के साथ बता रहा हूं, समर्पण कार्यक्रमों के जरिए संघ सभी परिवारजनों को न्यूनतम सुविधाएं उपलब्ध करवा रहा है. केरल में राजनीतिक हिंसा का दौर जल्द खत्म होगा, हम सब ऐसी उम्मीद करते हैं. कानूनी, सामाजिक, राजनीतिक और सांस्कृतिक प्रयास चल रहे हैं. संवाद कार्यक्रम विश्व संवाद केंद्र के सभागार में सम्पन्न हुआ.