रायपुर (विसंकें). युवा प्रेरणा शिविर का विधिवत आज सुबह 10.30 बजे उद्घाटन हो गया. उद्घाटन सत्र में मुख्यातिथि के रूप में स्वामी सत्यरूपानंद जी महराज सचिव रामकृष्ण विवेकानन्द आश्रम रायपुर, अध्यक्षता अशोक चतुर्वेदी जी तथा मुख्य वक्ता किशोर टोकेकर जी संयुक्त महासचिव विवेकानन्द केंद्र कन्याकुमारी ने की. इस अवसर पर लगभग 250 शिविरार्थी भाग ले रहे है.
कार्यक्रम का प्रारंभ मंचस्थजनों द्वारा दीप प्रज्ज्वलन से हुआ, तत्पश्चात मुख्यवक्ता किशोर जी ने कहा कि कार्यक्रम की प्रशंसा तालियों से होती है, पर जो विचार हमें प्राप्त होते हैं, तालियों की ध्वनि से हमसे दूर चले जाते हैं. जबकि वही विचार हमें शिक्षा देते हैं, जिसे हम ओम के माध्यम से अपने में समाहित होने की सहमति देते हैं. स्वामी जी को जिन्होंने साक्षात सुना होगा, उनका अनुभव कैसा होगा. स्वामी जी की विचारधारा की तरंगों से अनुभूति की जा सकती है, महापुरुषों के जीवन का केंद्र बिन्दु ईश्वर है. उन्होंने कहा कि सामूहिक अनुशासन की महत्ता भीड़ के समय आंकी जा सकती है.
महाविद्यालयीन शिक्षा जीविका का साधन बनाती है, जीवन नहीं. पाठशाला जीवन की प्रारंभिक शिक्षा का मापदंड है. जीवन का लक्ष्य निर्धारित न होने पर मनुष्य रास्ते से भटक जाता है. पशु और मनुष्य का अंतर आहार, निद्रा, भय, संस्कृति से ही होता है, अन्यथा मनुष्य व पशु में समानता होती है. इन्द्रियों का सुख सीमित है, इसके अंतर को समझना होगा. प्रलोभन की घड़ी में हमारी परीक्षा होती है, विशिष्ट क्षण में विचलित नहीं होना है, यही विद्या की शक्ति है. यही देश व समाज को उन्नत बनाता है. प्रथम आदर्श आत्म संयम है.
द्वितीय सत्र के प्रमुख वक्ता पूर्व सांसद गोपाल व्यास ने उद्देश्य पूर्ण जीवन की सार्थकता विषय पर अपने विचार रखे. उन्होंने कहा कि भारत में वह दिन कब आयेगा, जब भारत के संसद भवन में स्वामी जी का भाषण छपा रहेगा. उन्होंने युवाओं से अपनी रूचि के अनुसार राष्ट्र निर्माण में यथोचित सहयोग लगातार देते रहने का आह्वान किया.