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इसी देश में जन्म लिया है तो प्रभु श्रीराम हमारे भी हुए न?

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करनाल.

कोई बोले राम राम कोई खुदाए, कोई सेवै गोसैया कोई अल्लाहे….

कुछ इसी तर्ज पर अनेकता में एकता का भाव शहर के अर्जुन गेट में लंबे समय से सैलून चलाने वाले इलियास अहमद सलमानी ने प्रस्तुत किया है. इलियास न केवल अयोध्या में श्रीराम मंदिर निर्माण के लिए समर्पण निधि देने आगे आए, बल्कि उन्होंने कहा कि जब इसी देश में जन्म लिया है तो प्रभु श्रीराम हमारे भी हुए न ? फिर उनका भव्य मंदिर बनवाने में क्यों न भागीदारी करें ?

निधि समर्पण अभियान को लेकर शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में स्वयंसेवकों की टोलियां सक्रिय हैं. अयोध्या में भव्य श्रीराम मंदिर के निर्माण के लिए इस मुहिम की मदद से व्यापक स्तर पर धनराशि एकत्र की जा रही है. दानवीर कर्ण की नगरी के लोग भी महायज्ञ में आहुति दे रहे हैं.

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कुरुक्षेत्र विभाग संपर्क प्रमुख कपिल अत्रेजा ने बताया कि वह और उनके साथी श्रीराम जन्मभूमि निधि समर्पण अभियान के अंतर्गत कई प्रेरणादायक घटनाओं के साक्षी बन रहे हैं. उन्हें बहुत सुखद अनुभव हुआ, जब हाल में मुस्लिम समुदाय की नुमाइंदगी करते हुए अर्जुन गेट पर सैलून चलाने वाले इलियास अहमद सलमानी ने स्वयं उन्हें फोन करके इस अभियान में योगदान का अनुरोध किया. वह और उनके परिवार के अन्य लोग काफी समय से इसी सैलून में बाल कटवाते रहे हैं. अत्रेजा ने बताया कि सैलून संचालक सलमानी ने बाकायदा शिकायती लहजे में उनसे कहा कि आप सबसे मंदिर निर्माण के लिए सहयोग ले रहे हैं तो अभी तक उनसे सहयोग क्यों नहीं लिया?

इसके बाद शाम को जब वह समर्पण निधि लेने के लिए सैलून पर पहुंचे और उत्सुकतावश उनसे पूछा कि आपकी इस कार्य में इतनी आस्था का कारण क्या है. इस पर सलमानी ने कहा कि आखिर उन्होंने भी इसी देश में जन्म लिया है. बचपन से वह यहीं छोटी सी दुकान में सब वर्गों, धर्मों के लोगों के सहयोग से आजीविका कमाकर अपना और अपने परिवार का पालन-पोषण कर रहे हैं. जिस तरह वह अल्लाह की इबादत करते हैं, उसी तरह प्रभु श्रीराम भी तो उनके हैं. इसीलिए श्रीराम के प्रति उनके मन में उतनी ही श्रद्धा है, जितनी किसी हिंदू व्यक्ति के मन में होती है.

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