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अस्पृश्यता मुक्त समाज विश्व हिन्दू परिषद का संकल्प – डॉ प्रवीण तोगड़िया

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123नई दिल्ली, 21 मार्च. विश्व हिन्दू परिषद ने भारत से अस्पृश्यता निवारण के संकल्प को दोहराते हुए विशेष कार्य योजना के साथ विहिप स्वर्ण दृष्टिपथ 2025 की घोषणा की है. विहिप के अन्तरराष्ट्रीय कार्याध्यक्ष डॉ प्रवीणभाई तोगड़िया ने कहा कि भारत में अस्पृश्यता (छुआछूत) का कोई अस्तित्व नहीं है, विहिप ने इस सिद्धान्त पर सदैव आस्था प्रकट की है. उडूपी हिन्दू सम्मेलन 1969 के अवसर पर इस संदर्भ में सभी महामहिम शंकराचार्यों की उपस्थिति में एक संकल्प (प्रस्ताव) किया था. ‘हिन्दवः सर्वे सहोदरा’ अर्थात् सभी हिन्दू आपस में भाई-भाई हैं. इसके साथ ही संकल्प घोषित किया गया – ‘हिन्दू पतितो न भवेत’ अर्थात् कोई अन्य किसी हिन्दू से न छोटा है न बड़ा. इसका अनुसरण करते हुए शंकराचार्य एवं अन्य साधु संतों ने भारत के विभिन्न स्थानों पर जाकर यह संदेश दिया कि अस्पृश्यता भीषण अभिशाप रूपी संकट है. काशी के शंकराचार्य महाराज ने डोम राजा के साथ सहभोज करके छुआछूत निवारण का प्रकट संदेश दिया. 1989 में भगवान श्रीराम के मंदिर निर्माण हेतु अयोध्या में दलित जाति के प्रतिनिधि श्री कामेश्वर चौपाल (बिहार) के कर कमलों द्वारा ही शिलान्यास कराया गया.

विहिप के स्वर्ण जयन्ती महोत्सव के अवसर पर अस्पृश्यता मुक्त समाज के निर्माण का प्रारूप प्रस्तुत करते हुए पुनः यह घोषणा की गई कि ‘स्वर्ण दृष्टिपथ 2025’ के अनुसार भारत में पुनः इस संदर्भ में नवीन आयाम प्रस्थापित होंगे.

जहां भी गांव/नगर हैं, वहां सभी के लिए एक ही स्रोत होगा. जहां कुआं, झील या नल से सभी सभी निवासी जल ग्रहण कर सकेंगे.

सभी मंदिरों में सभी हिन्दुओं का प्रवेश मान्य होगा. किसी भी मंदिर में किसी हिन्दू का प्रवेश निषेध नहीं होगा.

मृत्यु के पश्चात भी सभी हिन्दू एक रहेंगे अर्थात् एक ही शमशान घाट में सभी का दाह-संस्कार होगा. जहां भी जाति आधारित शमशान घाट है, वहां समाज के विभाजन का वातावरण बनता है. इसे पूर्णतः समाप्त किया जाएगा.

सभी हिन्दू सहभोज में सम्मिलित हो सकेंगे. ग्रामों में पृथक जाति हेतु भोजन करने की व्यवस्था समाप्त कर एक साथ सहभोज करने की व्यवस्था विहिप द्वारा प्रचारित की जाएगी.

विहिप जानती है कि यह सरल कार्य नहीं है क्योंकि ये कुप्रथाएँ समाज में गहराई तक पैठ बना चुकी है. हमारी समरसता टोलियां एव अन्य कार्यकर्ता ग्राम-ग्राम तक जायेंगे तथा वहां अस्पृश्यता व अन्य संदर्भित विषयों की जानकारी लेकर आवश्यक समाधान प्रस्तुत करेंगे. इस संदर्भ में विहिप सामाजिक सम्पर्क समन्वय स्थापित करेंगी. कोई विरोधाभास न दर्शाते हुए एकता की सद्भावना का संचार किया जाएगा.

डॉ तोगड़िया जी ने ‘हिन्दू परिवार मित्र’ की विशिष्ट योजना के संदर्भ में भी जानकारी दी. सभी हिन्दू परिवार अन्य जाति के एक परिवार से मैत्री संबंध बनायेंगे. दोनों परिवार मिलकर सुख-दुःख की घड़ी में एक साथ दिखाई देंगे. एक दूसरे के निवास पर जायेंगे एवं एक साथ बैठकर घर में भोजन करेंगे, न कि किसी होटल या ढाबे पर. दोनों परिवार पर्यटन पर जायेंगे तो घर के बने भोज्य पदार्थों का परस्पर सेवन करेंगे. किशोर बालक परिवार के फोटो खींचेंगे और ‘हिन्दू परिवार मित्र’ की चित्र दर्शिका आपस में वितरित करेंगे. वाट्स एप व फेसबुक आदि पर यह सब दर्शनीय बनाया जाएगा. ऐसे अनेक मित्र परिवार जो भारत में अब तक सक्रिय हैं, उनकी संख्या में वृद्धि निरन्तर की जाती रहेगी.

विहिप विभिन्न प्रदेशों में भी जाएगी तथा ग्रामों, नगरों में अनेक जातीय समुदायों से सम्पर्क करके उनकी सामूहिक बैठकें कराने का प्रबंध किया जाएगा. उन सबको परस्पर हिन्दू एकता बनाने का संदेश दिया जाएगा. किसी भी स्थिति में जातीय व्यवस्था प्रकट न हो तथा हिन्दू विरोधियों को उसका लाभ उठाने का अवसर कभी न मिल सके. ऐसी बैठकें व मिलन एक-एक करके प्रारम्भ हो चुके हैं जो 600 हिन्दू सम्मेलनों के आयोजन में सम्पूर्ण भारत में प्रकट हो चुका है.

अब विहिप विभिन्न जातियों का विराट सम्मेलन आयोजित करेगी, जिस आधार पर भारत में अस्पृश्यता मुक्त समाज का परिदृश्य निर्माण किया जाएगा. बहुत से जागरण अभियानों की संरचना की जा चुकी है, जिनके द्वारा सशक्त भारत में अस्पृश्यता मुक्त समाज का स्वरूप प्रतिबिम्बित होगा.

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