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एक जीता – जागता उदाहरण हजारों भाषणों से ज्यादा प्रेरणा देता है – सुरेश सोनी जी

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भोपाल (विसंकें). नदी – महोत्सव कार्यक्रम में मुख्य वक्ता राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह सरकार्यवाह सुरेश सोनी जी ने कहा कि इस पंचम नदी-महोत्सव के केंद्र बिंदु का विषय सहायक नदियाँ हैं. गाँव-गाँव में फैली जलधाराओं की एक दुनिया है और उसे समझने की आवश्यकता है. पश्चिमी और भारतीय चिंतन में अंतर समझाते हुए उन्होंने कहा कि हमें अपने मौलिक चिंतन को समझकर उसमें परिवर्तन करना होगा. पिछले 150 साल में विज्ञान ने बहुत सी तकनीक और मशीनें बनाई हैं, किन्तु उनमें से कुछ तकनीकों से समस्याएं भी उत्पन्न हो रही हैं. भारतीय चिंतन को समझें, जिसमें यह बतलाया गया है कि पृथ्वी एकात्म है और मानव जीवन पंचतत्व के साथ जुड़ा हुआ है. उन्होंने कई उदाहरण देते हुए कहा कि हज़ारों भाषणों से ज्यादा एक जीता-जागता उदाहरण प्रेरणा देता है. स्व. अनिल माधव दवे ने भी कई ऐसे कार्य किये, जिनसे हम सभी को प्रेरणा मिलती है. हमें समग्र संतुलन को आगे बढ़ाते हुए इसी दिशा में कार्य करना होगा.

नर्मदा-तवा संगम बांद्राभान में आयोजित पंचम नदी महोत्सव में मुख्य अतिथि और केन्द्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी जी ने कहा कि पंचम नदी महोत्सव में चिंतन करते हुए मुझे स्व. अनिल माधव दबे जी की याद आ रही है. वे नर्मदा नदी को स्वच्छ बनाने हेतु लगातार प्रयास करते रहते थे और उन्होंने अपना जीवन पर्यावरण को समर्पित कर दिया था. आज दवे जी हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन उनके विचारों को आगे बढ़ाने के लिए कार्य करते रहना ही उन्हें सच्ची श्रद्धांजलि है. उन्होंने कहा कि जल, जंगल, जमीन और जानवर भगवान के द्वारा हमें दी गई अमूल्य भेंट है और इनका संवर्धन करने पर सम्पूर्ण सृष्टि का विकास होगा और इसके लिए हम सभी को एकात्म दृष्टिकोण की आवश्यकता है.

मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान जी ने अध्यक्षीय उद्बोधन में सर्प्रथम स्व. अनिल जी को श्रद्धा-सुमन अर्पित किये. उन्होंने कहा कि हमें उनके कार्य को आगे बढ़ाना होगा. लोगों की ज़िन्दगी में खुशहाली लाना और सामाजिक रूप से भी उनका विकास करना सरकार का कार्य है.

उद्घाटन सत्र में स्व. अनिल माधव दवे जी की किताब “नर्मदा परिक्रमा मार्ग” का विमोचन भी उपस्थित अथितियों द्वारा किया गया.

पांचवे नदी महोत्सव का प्रतीक हमारी सृष्टि में जीवन के मूल सिद्धांत ‘पंच महाभूत की एकात्मता’ पर आधारित है. भारत में बहने वाली अधिकाँश नदियाँ जलराशि के लिए जंगल और वृक्षों पर निर्भर हैं, प्रतीक के मध्य में नदी और वृक्ष का युग्म इसी तथ्य को प्रदर्शित करता है. यह युग्म जल तत्व का प्रतिनिधि है.

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