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पालघर हत्याकांड –  २

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क्या हुआ उस दिन? – चित्रा चौधरी की जुबानी, घटना वाले दिन की कहानी

मुंबई. गढ़चिंचले गांव में 16 अप्रैल की रात दो संतों को मारने वाली भीड़ को गढ़चिंचले की सरपंच चित्रा चौधरी ने नियंत्रित करने का प्रयास किया था. लेकिन वे इस दुःखद घटना को नहीं टाल सकीं.

चित्रा चौधरी के अनुसार, गाँव में चोर आने की अफवाहें फैली थीं. संतों की गाड़ी जब गांव में आई, तो कुछ लोग चित्रा जी को बुलाने के लिए गए. उनके आने के पश्चात् उन साधुओं से पूछताछ की जाने लगी. इतने में बीच में से कुछ लोग फिर एक बार ‘चोर आए, चोर आए’ चिल्लाने लगे, भीड़ ने साधुओं की गाड़ी के पहिय़ों की हवा निकाल दी. मारपीट ना हो, इसलिए चित्रा चौधरी ने बहुत प्रयास किये. इतने में कुछ लोगों ने गाड़ी पलट दी. यह घटना रात दस बजे से आस पास की है. सरपंच के कहने पर वन अधिकारी श्री कदम ने पुलिस को फोन किया. साधुओं को भीड़ से बचाने व मारपीट को रोकने का प्रयास करने के कारण कुछ गुंडों ने चित्रा चौधरी को भी जान से मारने की धमकी दी. फिर भी वे भीड़ को नियंत्रित करने का प्रयास करती रहीं.

फोन करने के पश्चात रात लगभग 12 बजे पुलिस आई तथा घटना की जांच शुरू की. इससे पहले ही निलेश तेलगड़े और सुशिलगिरी जी महाराज पलटी हुई गाड़ी से बाहर निकल आए थे. कल्पवृक्षगिरी जी महाराज पुलिस कर्मी का हाथ पकड़कर बाहर आए, इतने में भीड़ ने पथराव शुरू कर दिया. पथराव में चित्रा चौधरी को भी चोट लगी. चित्रा चौधरी के अनुसार भीड़ में गढ़चिंचले, दाभाडे और दिवशी इन तीन गांवों तथा दादरा नगर हवेली के कुछ गाँव के निवासियों के लोग शामिल थे. इन गाँवों में आठ से दस किमी का अंतर है.

पुलिस साधुओं को अपनी गाड़ी से पुलिस थाने ले गयी और चित्रा चौधरी चेक नाका पर छिप गईं. इस दौरान कुछ लोगों ने चित्रा चौधरी का पीछा किया. चेक नाका पर भारी पथराव किया. कुछ देर बाद उन साधुओं को पुलिस थाने से खींचकर बाहर लाया गया. राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी से संबंधित जिला परिषद के सदस्य काशीनाथ गोविंद चौधरी भी वहाँ पर आये थे. उन्हें वहाँ पर किसने बुलाया ये आज भी रहस्य है. चित्रा चौधरी अपनी जान बचाकर घर भाग गईं. रात दो बजे के करीब पुलिस उन्हें बुलाकर घटनास्थल पर ले आई, उस समय तक दोनों साधुओं और वाहन चालक की मृत्यु हो चुकी थी. उस भीड़ ने लाठियों से पीट-पीटकर उन्हें मार डाला था.

घटना के बाद चित्रा चौधरी और उनके घरवालों को दो-तीन दिन तक धमकियाँ आ रहीं थी. इसके बाद उन्हें पुलिस सुरक्षा दी गयी है. सीसीटीवी से कुछ लोगों के बारे में जा नकारी मिली है.

क्षेत्र में पिछले कई वर्षों से वामपंथियों का प्रभाव है. तथा कुछ क्रिश्चियन मिशनरी धर्म परिवर्तन की गतिविधियाँ चला रहे है. वामपंथी विचारों से प्रभावित स्थानीय संगठन जनजाति युवाओं को अपने धर्मं के विरोध में खड़ा कर रहे है. क्षेत्र में अपना प्रभाव कायम रखने के लिए हथकंडे अपना रहे हैं, साधुओं की हत्या के पीछे ऐसा ही स्वार्थ हो सकता है.

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