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स्वराज, स्वधर्म, स्वदेशी को अपनाकर समाज परिवर्तन के लिए तैयार हों कार्यकर्ता

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नागपुर. राष्ट्र सेविका समिति की प्रमुख संचालिका शांताक्का जी ने कहा कि स्वराज, स्वधर्म, स्वदेशी की स्व-त्रयी को अपनाते हुए समाज परिवर्तन के लिये कार्यकर्ता तैयार हों. वे राष्ट्र सेविका समिति की अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा के समापन सत्र में सेविकाओं को संबोधित कर रही थीं.

राष्ट्र सेविका समिति की अखिल भारतीय कार्यकारिणी एवं प्रतिनिधि मंडल बैठक 21 से 23 जुलाई तक नागपुर के रेशीमबाग में संपन्न हुई. बैठक में प्रमुख संचालिका शांतक्का जी और प्रमुख कार्यवाहिका सीता गायत्री पूर्ण समय उपस्थित रहीं. बैठक में 38 प्रांतों से 370 प्रतिनिधि उपस्थित रहीं. बैठक में वर्तमान स्थिति का विश्लेषण एवं कार्य विस्तार और दृढ़ीकरण की योजना पर चर्चा हुई.

विभिन्न स्थानों पर हो रही महिलाओं की प्रताड़ना, उन पर हो रहे जघन्य अत्याचार, हिंसा तथा बढ़ते हुए अपराधों के प्रति राष्ट्र सेविका समिति की अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा में गंभीर चिंता व्यक्त की गई. इस विषय पर चर्चा करते हुए कार्य योजना बनायी गई.

पूर्वोत्तर राज्य मणिपुर में महिलाओं पर किये गए हमले और उन पर हुए अमानवीय दुराचार की घटना की कड़ी निंदा की गई एवं उन पीड़ित महिलाओं के प्रति संवेदना व्यक्त करते हुए सरकार, पुलिस एवं जांच एजेंसियों से सभी अपराधियों को कठोरतम दंड देने का निवेदन किया. राहत शिविरों में रह रहे मणिपुर के बंधु-भगिनियों के कष्टों के प्रति संवेदना व्यक्त करते हुए राष्ट्र सेविका समिति इस दुःख की घड़ी में अपने कार्यकर्ताओं के माध्यम से तन-मन से उनका साथ देकर राहत कार्य में जुटी है.

पुनःश्च मणिपुर जैसी घटना न घटे इसलिये सम्पूर्ण समाज को जागृत एवं कटिबद्ध करने की दिशा में कार्यकर्ता प्रतिबद्ध हों, ऐसा आवाहन प्रमुख कार्यवाहिका सीता गायत्री ने किया.

परिवार प्रबोधन तथा समान नागरिक संहिता पर भी विस्तृत चर्चा की गई.

बैठक के प्रारंभ में दिवंगत गणमान्य महानुभावों, सैनिकों, आपदा में मारे गए देश बान्धवों एवं कार्यकर्ता बंधु भगिनी को श्रद्धांजलि अर्पित की गई.

बैठक में हिंदवी स्वराज्य की स्थापना की 350वीं वर्षगाँठ के अवसर पर उस महान स्वप्न की दृष्टा एवं मातृत्व का उत्तम आदर्श वीरमाता जीजाबाई को गीत सुमनांजलि देते हुए ‘गीत जीजाऊ’ पुस्तक का विमोचन किया गया. साथ ही 75 बोध कथाओं की पुस्तक ‘कथामृत’ का भी विमोचन किया गया, जिसमें रामायण और महाभारत से ली गई कथाएं सम्मिलित हैं.

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