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भए प्रगट कृपाला

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अयोध्या. भगवान श्री रामलला जी अपने महा-प्रासाद में दिव्य आभूषणों और वस्त्रों से सज्ज होकर विराजमान हो गए. इन दिव्य आभूषणों का निर्माण अध्यात्म रामायण, श्रीमद्वाल्मीकि रामायण, श्रीरामचरिमानस तथा आलवन्दार स्तोत्र के अध्ययन और उनमें वर्णित श्रीराम की शास्त्रसम्मत शोभा के अनुरूप शोध और अध्ययन के उपरान्त किया गया है. इस शोध के अनुरूप यतींद्र मिश्र की परिकल्पना और निर्देशन से, इन आभूषणों का निर्माण अंकुर आनन्द के संस्थान हरसहायमल श्यामलाल ज्वैलर्स, लखनऊ ने किया है. भगवान बनारसी वस्त्र की पीताम्बर धोती तथा लाल रंग के पटुके / अंगवस्त्रम में सुशोभित हैं. इन वस्त्रों पर शुद्ध स्वर्ण की ज़री और तारों से काम किया गया है, जिनमें वैष्णव मंगल चिन्ह- शंख, पद्म, चक्र और मयूर अंकित हैं. इन वस्त्रों का निर्माण श्री अयोध्या धाम में रहकर दिल्ली के वस्त्र सज्जाकार मनीष त्रिपाठी ने किया है.

राष्ट्र सेविका समिति की ओर से शुभकामना संदेश

वंदे मातरम्

अयोध्या जी में श्री राम जन्मभूमि तीर्थ स्थली पर श्री रामलला की प्राण प्रतिष्ठा एवं मंदिर निर्माण कार्य को सफलतापूर्वक संपन्न करने के लिए राष्ट्र सेविका समिति श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र का हृदय से अभिनंदन करती है.

पांच सौ वर्षों से लगी हुई कालिमा को हिन्दू समाज के संगठित प्रयास ने ध्वस्त किया. हिन्दू समाज के स्वयं स्फूर्त और अभूतपूर्व उत्साह से यह प्रतीत हो रहा है कि अब भारत की अंतः चेतना जाग उठी है. आज का दिन राष्ट्रीय स्वाभिमान का दिन है, गौरव का दिन है, आज से नवयुग का प्रारंभ हो रहा है.

भविष्य में भी हिन्दू भावनाओं को कोई कभी ठेस नहीं पहुंचा सकता, यह विश्वास इस मंदिर निर्माण के कारण उत्पन्न हुआ है. स्वाभिमान और श्रद्धा का प्रतीक श्रीराम मंदिर शतकों तक धर्माचरण का प्रेरणा स्रोत रहा है और रहेगा ऐसा विश्वास है.

श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र का पुनश्च अभिनंदन.

प्रमुख संचालिका

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