नई दिल्ली. देश में कोरोना संक्रमण के लगातार बढ़ते मामलों को देखते हुए सरकार ने एमबीबीएस फाइनल ईयर, नर्सिंग फाइनल ईयर के छात्र और सेना के रिटायर्ड छह सौ डॉक्टरों को कोविड ड्यूटी में लगाने का निर्णय लिया है.
देश भर में कोरोना वायरस की दूसरी लहर पिछले कई दिनों से हाहाकार मचा हुआ है. शनिवार को पूरे देश में चार लाख पार नए मामले सामने आए थे. संकट की घड़ी को देखते हुए प्रधानमंत्री ने ऑक्सीजन, दवाओं और डॉक्टरों की मांग पर हेल्थ एक्सपर्ट्स के साथ रविवार को बैठक की थी. कोविड-19 के संकट से जूझ रहे मरीजों को ज्यादा से ज्यादा स्वास्थ्य सुविधा कैसे उपलब्ध कराई जा सके, इसके लिए बैठक में चर्चा हुई. मेडिकल विभाग के साथ-साथ सेना ने भी स्वास्थ्य कर्मियों की मांग को देखते हुए आर्मी रिटायर 600 डॉक्टरों को वापस बुला लिया है.
कोरोना संकट के चलते प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को हेल्थ एक्सपर्ट्स के साथ वर्चुअल बैठक की. जिसमें प्रधानमंत्री ने कहा कि एमबीबीएस, नर्सिंग के छात्र जो अंतिम वर्ष की पढ़ाई कर रहे हैं, उनको कोविड-19 ड्यूटी में लगाया जाएगा. इन छात्रों की ड्यूटी कोविड-19 के कम लक्षण वाले मरीजों की मॉनिटरिंग के लिए लगाई जाएगी. एमबीबीएस फाइनल ईयर की परीक्षा भी जल्द करवाई जा सकती है ताकि ज्यादा से ज्यादा स्वास्थकर्मी कोविड ड्यूटी में तैनात किए जा सकें.
मेडिकल स्टाफ में कोविड-19 ड्यूटी के सौ दिन पूरे करने पर उन्हें सरकारी नौकरी में प्रमुखता दी जाएगी. मेडिकल इंटर्न की ड्यूटी कोविड मैनेजमेंट में सीनियर डॉक्टरों की देख-रेख में लगाई जाएगी.
रक्षामंत्री ने भी जानकारी दी कि अस्पतालों में डॉक्टरों व मेडिकल स्टाफ की कमी के चलते सेना से रिटायर हो चुके लगभग 600 डॉक्टरों को कोरोना ड्यूटी के लिए बुलाया गया है. इन्हें सेना और सिविल अस्पतालों में सहयोग के लिए लगाया गया है. इसके साथ नौसेना के 200 बैटल फील्ड नर्सिंग असिस्टेंट की भी ड्यूटी लगाई गई है.
महाराष्ट्र, उत्तराखंड और हरियाणा के कई स्थानों पर एनसीसी के कैडेट और स्टाफ ने सेवाएं शुरू कर दी हैं. अलग-अलग राज्यों में स्थानीय प्रशासन के लिए सेना ने 720 बेड की व्यवस्था की है. स्वास्थ्य संबंधी परामर्श के लिए टेली मेडिसिन सर्विस की भी व्यवस्था है.