नई दिल्ली. पद्मश्री सम्मान 2023 के लिए चयनित मेघालय के रिसिंहबोर कुर्कलंग संगीतकार और प्रतिभाशाली कारीगर हैं. वह कटहल और मुगा सिल्क की लकड़ियों से लोक वाद्य यंत्र दुइतारा बनाते हैं. यह राज्य की खासी जनजाति का एक अनूठा वाद्य यंत्र है. इसमें चार तार होते हैं. उनके वाद्य यंत्र दिल्ली, बेंगलुरु, हैदराबाद सहित देश के विभिन्न हिस्सों में बिकते हैं.
रिसिंहबोर ने पारंपरिक खासी वाद्य यंत्र सैतार के भी कुशल शिल्पकार हैं. पूर्वी खासी पहाड़ी स्थित लैटकिरहोंग गांव में किसान परिवार में जन्मे 60 वर्षीय रिसिंहबोर परंपरागत लोक संगीत के क्षेत्र में जाना-पहचाना नाम हैं. रिसिंहबोर ने खासी लोक संगीत को लोकप्रिय बनाने और दुइतारा व सैतार को दुनियाभर में पहुंचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है.
पारंपरिक लोक संगीत के क्षेत्र में उनके समर्पण और योगदान के लिए यह सम्मान एक वसीयतनामा है. रिसिंहबोर ने वेल्श के संगीतकार गैरेथ बोनेलो के साथ मिलकर एक एल्बम भी बनाया है. रिसिंहबोर बताते हैं कि जब वे 8वीं कक्षा एसयूपीडब्ल्यू का एक प्रोजेक्ट बना रहे थे, तब उनके मन में इस कला के प्रति रुचि जागी. धीरे-धीरे बहुत से लोग उनसे वाद्य यंत्र बनाने का अनुरोध करने लगे. इस तरह, वाद्य यंत्र बनाने का सिलसिला शुरू हुआ. उन्होंने कहा कि दुइतारा बनाने की कला उन्हें परिवार से विरासत में मिली है. वे तीसरी पीढ़ी के वाद्य यंत्र निर्माता हैं. शुरुआत में वह वाद्य यंत्र बनाने के लिए जंगल से लकड़ी लाते थे, लेकिन 2008 के बाद से वे रि-वार, रामबराई सहित दूसरी जगहों से लकड़ी खरीदने लगे. उनका भतीजा और साथी ग्रामीण उनकी वर्कशॉप में उनके साथ काम करते हैं.